घर के लिविंग रूम के लिए वास्तु

लिविंग रूम तय करता है आपका भाग्य
लिविंग रूम घर का मुख्य केंद्र होता है इसलिए हम इसे सबसे अच्छे तरीके से सजाना चाहते हैं। लेकिन लिविंग रूम की सजावट सिर्फ उसके लुक्स को बेहतर करने के लिए नहीं होना चाहिए, यहां की सजावट से आपके मन को सुकून भी मिलना चाहिए। साथ ही वास्तु के नियमों का भी पालन करना चाहिए ताकि आप एक सफल, स्वस्थवर्धक जीवन जी सकें और आपका भाग्य उज्जवल हो सके। इसलिए वास्तु के अनुसार अपने लिविंग रूम की सजावट के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है। तभी यहां से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और घर के सभी सदस्यों के संबंधों के बीच मधुरता बढ़ेगी। अपने लिविंग रूम को सकारात्मक और खुशहाल जगह बनाने में वास्तु की टिप्स काफी मदद करते हैं।
वास्तु अनुसार हो लिविंग रूम का एंट्रेंस
आमतौर पर घर का मुख्य द्वार लिविंग रूम का ही एंट्रेंस होता है। इसलिए यह प्रवेश द्वार घर के हर सदस्य के लिए बहुत जरूरी है। इसका सही दिशा में होना यह तय करता है कि घर में किस तरह की ऊर्जा का प्रवेश होगा। लिविंग रूम के एंट्रेंस के लिए उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाएं सबसे उपयुक्त होती हैं। यहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। इसके अलावा दरवाजा इस तरह बना होना चाहिए कि उसके खुलते ही घर में रोशनी आ सके। अपने लिविंग रूम के एंट्रेंस गेट में नेमप्लेट जरूर लगवाएं। दरअसल वासतु विशेषज्ञों के अनुसार सही मटीरियर का बना नेमप्लेट का भी घर में रह रहे सदस्यों के लिए अहम होता है। इसके साथ ही लिविंग रूम के एंट्रेंस में (अगर वह घर का मुख्य द्वार भी है) तोरण लगाना भी अच्छा विचार हो सकता है। हिंदू धर्म के अनुसार दरवाजे पर प्राकृति पत्तों से बना तोरण काफी लाभकारी होता है। लेकिन इन पत्ते के बने इस तोरण को समय-समय पर बदलना आवश्यक होता है। इसके अलावा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अपने लिविंग रूम के दरवाजे पर कभी भी जूतों का रैक न रखें। जूते अपने साथ कई तरह की नकारात्मक ऊर्जाएं लेकर आती हैं। यदि इन्हें ठीक लिविंग रूम के सामने रखा जाए, तो दरवाजा खुलते ही वह ऊर्जाएं घर में प्रवेश कर सकती हैं और घर के सभी सदस्यों को नुकसान पहुंचा सकती है।
लिविंग रूम की सही दिशा
- उत्तर-पश्चिम दिशा: उत्तर-पश्चिम दिशा लिविंग रूम के लिए एक आदर्श दिशा है। यह दिशा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। जिन लोगों के घरों में अकसर देर रात तक पार्टियां चलती हैं, लेकिन निजी स्तर पर उन्हें इस तरह की पार्टियां पसंद नहीं हैं, तो उन्हें इस दिशा में अपने लिविंग को बनवाना चाहिए। इससे देर रात की पार्टियों, गेट-टूगेदर पार्टीज से बचने में मददगार साबित होगी।
- उत्तर-पूर्व दिशा: इस दिशा में लिविंग रूम होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। साथ ही यह दिशा वहां रहने वालों का मन-मस्तिष्क हमेशा शांत रखती है। अगर किसी वजह से घर में रहने वाला सदस्य अक्सर तनाव में रहता है, काम का बोझ परेशान करता रहता है, तो उन्हें अपने घर का लिविंग रूम के लिए उत्तर पूर्व दिशा को चुनना चाहिए।
- उत्तरी दिशा: यह दिशा धन और स्वास्थ्य से संबंधित है। इसलिए लिविंग रूम को इस दिशा में बनाना फलदायी हाे सकता है। दरअसल कई लोग अपने लिविंग रूम में बैठकर कई तरह के वित्तीय फैसले भी लेते हैं, जिसका प्रभाव पूरे परिवार पड़ता है। अगर आप अपने घर में सकारात्मक जोड़ना चाहते हैं और माहौल को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो अपने लिविंग रूम को इस दिशा में बनवाएं।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा: अगर आप सोशल हैं, लोगों के साथ मेल-जोल आपको पसंद है, तो आपके लिए इस दिशा में अपना लिविंग रूम बनाना अच्छा रहेगा। असल में यह दिशा घर में मेहमानों को आकर्षित करने का काम करती है। घर में आए मेहमानों के कारण आप नेटवर्क अच्छा बनेगा, जो आपको इमोशनली, पर्सनली तो मदद करेगी, साथ ही ये आपको आपके कामकाजी जीवन के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
लिविंग रूम की साज-सजावट
- ध्यान रखें, लिविंग रूम हमेशा साफ और स्वच्छ होना चाहिए। लिविंग रूम से अनावश्यक फर्नीचर और गैर-आवश्यक वस्तुओं को हटा दें।
- लिविंग रूम को इस तरह डिजाइन करें, जो आपके विचारों और जीवनशैली को दर्शाता हो। साथ ही घर की सजावट खुश और शांतिपूर्ण भावनाओं को लाने में मदद करने वाली हो।
- लिविंग रूम को कभी भी ऐसे आर्ट पीस या ऐसे समान से न सजाएं जो दुख या उदासी को दर्शाते हैं। टूटे हुए शोपीस, बिजली के उपकरण जो काम नहीं करते हैं, टूटे हुए शीशे, आदि को हटा दें। वास्तु के अनुसार इस तरह की टूटी या बंद उपकरणों में नकारात्मक ऊर्जा होती है जो दुर्भाग्य को आकर्षित करती है।
- ऐसे सजावटी सामान का उपयोग करें, जो प्राकृतिक सुदंरता को प्रदर्शित करती है। अपने लिविंग रूम में सूखे फूल, बोन्साई या कैक्टस का उपयोग करने से बचें। ध्यान दें कि असली फूल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। जबकि सूखे हुए और नकली फूल नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचते हैं।
- लिविंग रूम के उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर एक फिश एक्वेरियम रखें। इससे घर में शांतिपूर्ण और आरामदेह माहौल बनता है। अगर आपके घर के लिविंग रूम में इतना स्पेस है कि वहां फव्वारा लगाया जा सकता है, तो इसके लिए उत्तर दिशा का चयन करें। पानी की कल-कल ध्वनि घर में सकारात्मकता बढ़ाने में मदद करती है।
वास्तु के अनुसार घर का सामान रखने की दिशा
सामान | वास्तु के अनुसार सर्वश्रेष्ठ निर्देशन |
---|---|
टेलीफ़ोन | दक्षिण-पश्चिम |
बिजली के उपकरण | दक्षिण-पूर्व |
फर्नीचर | दक्षिणी और पश्चिमी कोने |
शोकेस और अलमारी | दक्षिण-पश्चिम कोना |
कूलर या एसी | पश्चिम या उत्तर |
जल फव्वारे, एक्वैरियम को दर्शाने वाली पेंटिग | उत्तर से पूर्व क्षेत्र |
झूमर | थोड़ा पश्चिम की ओर, घर के बीचों बीच नहीं। |
दरवाज़ा | पूर्व या उत्तर |
खिड़कियाँ | पूर्व या उत्तर |
बेडरूम के लिए वास्तु शास्त्र


वास्तु शास्त्र के अनुसार बेड किस दिशा में रखना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम की सही दिशा घर का दक्षिण-पश्चिम कोना होना चाहिए। साथ ही बेड के सिरहाने के लिए सही दिशा दक्षिण या पूर्व की ओर है ताकि सोते समय आपके पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर हों।
बेडरूम में वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार बिस्तर लगाना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह नींद की गुणवत्ता और परिवार के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। बेडरूम में वास्तु के अनुसार सोने की स्थिति या तो दक्षिण या पश्चिम होनी चाहिए। बेड को दक्षिण या पश्चिम में दीवार से सटाकर रखना चाहिए ताकि सोते समय आपके पैर उत्तर या पूर्व की ओर रहें।
आपको बेडरूम के कोने में बिस्तर लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह स्वतंत्र रूप से नहीं होता है। वास्तु के अनुसार बेडरूम में बिस्तर की स्थिति कमरे के मध्य भाग में होनी चाहिए ताकि आने-जाने के लिए पर्याप्त जगह हो।
परिवार के सदस्यों के लिए बेडरूम किस दिशा में होना चाहिए
- पूर्व दिशा- इस दिशा में सोने से प्रतिष्ठा और धन का लाभ होता है।
- पश्चिम दिशा- आपको बता दें कि इस दिशा में सोने से जातक को सद्भाव और अध्यात्मवाद का लाभ प्राप्त होता है।
- उत्तर दिशा- यह दिशा जातक के लिए समृद्धि और ऐश्वर्य लाती है।
बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स
- बेडरूम की दिशा- बेडरूम को डिजाइन करते समय सुनिश्चित करें कि वह किचन के ठीक सामने न हो।
- खिड़कियां- सोते समय अपने सिर के पीछे कभी भी खिड़की खुली न रखें।
- दरवाजे- उपयोग में न होने पर बाथरूम का दरवाजा बंद रखें। बेडरूम में ऐसे दरवाजे नहीं होने चाहिए जिनमें दरारें हों। अगर आपके बेडरूम का दरवाजा टूटा या खराब है, तो उसे जल्द से जल्द ठीक करवा लें या बदलवा लें।
- फर्नीचर- बेडरूम वास्तु के अनुसार भारी वस्तुओं को पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखें।
- ड्रेसिंग टेबल – वास्तु के अनुसार बेड के पास ड्रेसिंग टेबल रखा जाता सकता है। साइड में ड्रेसिंग टेबल रखने होने के कारण सोए हुए व्यक्ति के शरीर का प्रतिबिंब उस पर नहीं पड़ता। यदि किसी कारणवश दर्पण बिस्तर के सामने रखा हुआ हो, तो उसे रात को सोने से पहले पर्दे से ढककर रखें। वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा में बेडरूम के लिए ड्रेसिंग टेबल को उत्तर, दक्षिण या पूर्व की दीवार के साथ रखें। अगर बेडरूम उत्तर दिशा में है, तो ड्रेसिंग टेबल उत्तर/उत्तर-पश्चिम में रखें। इसे कभी भी दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम की दीवार में न रखें।
किचन के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार किचन की सही दिशा
वास्तु शास्त्र इस तथ्य को गहराई से स्वीकारता है कि ब्रह्मांड के प्राकृतिक नियमों के अनुरूप इमारतों के डिजाइन और निर्माण करना चाहिए। इन दिनों जैसा कि ओपन किचन का काफी ट्रेंड है। इसलिए वास्तु के मुताबिक ओपन किचन और बंद किचन के लिए भी अलग-अलग दिशा-निर्देश देता है। इसके नियमों को अनुसरण करने से घर में सही तरह की ऊर्जा और सकारात्मकता बनी रह सकती है। साथ ही उस घर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य लाभ होता है। वास्तु के अनुसार सबसे अच्छा किचन लोकेशन चुनते समय किचन का आकार पर भी गौर किया जाना जरूरी है। अगर किचन बहुत छोटा है तो घर की महिलाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर के लिए दक्षिण-पूर्व किचन के लिए आदर्श दिशा है। अगर आपकी किचन इस दिशा में स्थित नहीं है, तो कोशिश करें कि किचन उत्तर पश्चिम दिशा की ओर हो।
- उत्तर, पश्चिम और उत्तर पूर्व दिशाओं में अपनी किचन ना बनाएं।
- पश्चिममुखी घर के लिए किचन डिजाइन करने के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा पर विचार किया जा सकता है।
- टॉयलेट या बाथरूम के ऊपर या नीचे किचन बनाना सही नहीं होता है। दरअसल, बाथरूम या टॉयलेट ऐसी जगह होती है, जहां हम अपना वेस्ट फेंकते हैं। अगर ये दोनों एक-दूसरे के ऊपर नीचे रहेंगे, तो इससे नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा आपस में क्लेश कर सकते हैं। यह स्थिति घर के मालिक के लिए सही नहीं है। इससे घर में पैसों की तंगी बढ़ सकती है, बनते काम बिगड़ सकते हैं
वास्तु के अनुसार चुनें किचन का रंग
किचन पवित्रता का प्रतीक है। इसलिए किचन में वही रंग इस्तेमाल किए जाने चाहिए, जो कि शांति, शुद्धि, खुशहाली और सकारात्म्कता की ओर इशारा करते हों। ऐसे किसी रंग का किचन की दीवारों, शेल्फ में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जो नकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं। ध्यान रखें कि नकारात्मक रंग आपके जीवन में उत्साह की कमी कर सकता है, आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए किचन में कुछ चुनिंदा रंगों को ही जगह दी जानी चाहिए। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही विशेष रंगों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही उनके लाभ और और उनसे मिलने वाले प्रतिफल भी आप यहां जान पाएंगे।
वास्तु के मुताबिक किचन का सामान और उनकी दिशा
प्रकार सर्वश्रेष्ठ दिशा प्रवेश द्वार उत्तर, पूर्व या पश्चिम गैस सिलेंडर दक्षिण-पूर्व किचन गैस दक्षिण पूर्व का कोना फ्रिज दक्षिण पूर्व, दक्षिण, उत्तर या पश्चिम उपकरण जैसे हीटर, अवन, माइक्रोवेव दक्षिण पूर्व या दक्षिण स्टोरेज रैक्स पश्चिमी या दक्षिणी दीवार सिंक उत्तर-पूर्व कोना पेय जल ईशान कोण खिड़किंया और एग्जॉस्ट फैन पूर्व दिशा घड़ी दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम की दीवार
बाथरूम के लिए वास्तु शास्त्र


वास्तु के अनुसार बाथरूम क्यों बनाना चाहिए?
अधिकांश लोग वास्तु के अनुरूप बना घर खरीदना काफी पसंद करते हैं क्योंकि वास्तु अनुसार बना घर समृद्धि और खुशहाली में इजाफा करते हैं, घर के सभी सदस्यों को नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखते हैं। साथ ही घर में सदैव सकारात्मकता वास करती है, जिससे घर में सब कुशल मंगल होता है। मौजूदा समय में वास्तु संगत घर की काफी डिमांड बढ़ी है। इस तरह के घर को काफी प्राथमिकता भी दी जा रही है। इसमें वास्तु अनुसार बना बाथरूम भी अछूता नहीं है। आज के समय में लोग न सिर्फ घर के लिविंग रूम की बल्कि किचन और बाथरूम के वास्तु की भी पूरी जांच परख करते है। अत: घर के बाथरूम को भी बाकी कमरों की तरह वास्तु अनुसार बनाना चाहिए।
वास्तु के अनुसार टॉयलेट सीट की दिशा
वास्तु के अनुसार आपको अपने घर में शौचालय की सीट का निर्माण इस तरह से करना चाहिए कि इसका उपयोग करने वाले का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर हो। साथ ही इस दिशा में टॉयलेट सीट होने से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। वास्तु के अनुसार शौचालय में एक खिड़की अवश्य होनी चाहिए, जो उचित ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद करे।

वास्तु के अनुसार बाथरूम में आईना
बाथरूम में शीशे की खासा उपयोगिता होती है। इसलिए मौजूदा समय में एक से एक बेहतरीन शीशे बाजार में मौजूद हैं। आमतौर पर ज्यादातर लोग अपने बाथरूम में किसी भी दिशा में शीशा लगा लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। शीशा किस दीवार पर लगेगा और किस दिशा में लगेगा, ये बातें बहुत महत्वपूर्ण है। अगर वास्तु के अनुकूल शीशा न लगाया जाए, तो इसका जातक के परिवार, उनके दांपत्य जीवन पर पड़ सकता है। मौजूद है बाथरूम में शीशा लगाने के लिए वास्तु टिप्स –
- बाथरूम में शीशे के लिए सबसे अच्छी दिशा उत्तरी या पूर्वी दीवार होती है।
- वास्तु के अनुसार दर्पण के लिए सबसे बेहतर लेआउट वर्गाकार या आयताकार है।
- शीशे के किनारे पीले रंग के होने चाहिए। यह बाथरूम में रोशनी होने का भ्रम बनाते हैं। इससे न सिर्फ शीशे की सुंदरता बढ़ती है बल्कि यह वास्तु के अनुकूल भी होती है।
- बाथरूम में शीशा इस तरह से लगाया जाना चाहिए कि वह टॉयलेट सीट को प्रतिबिंबित न करे।
बाथरूम और शौचालय के लिए वास्तु शास्त्र के नियम
- वास्तु के अनुसार बाथरूम की उत्तरी या पूर्वी दीवार पर शीशा लगाना चाहिए। साथ ही शीशा वर्गाकार और आयताकार (square and rectangular) होना बेहद जरूरी है। उन्हें फर्श से कम से कम चार या पांच फीट की दूरी पर लगाना चाहिए।
- वास्तु अनुसार बाथरूम में दर्पण को उच्च स्थान पर लगाना चाहिए ताकि वह टॉयलेट सीट को प्रतिबिंबित न करें।
- बिजली से चलने वाले उपकरण जैसे हेयर ड्रायर और गीजर दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए।
- एग्जॉस्ट फैन या वेंटिलेशन के लिए एक खिड़की है, तो वह पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए।
- वॉशिंग मशीन को दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
जब वास्तु अनुकूल न हो बाथरूम-टॉयलेट
दिशा प्रभाव उत्तर दिशा इस दिशा में बाथरूम और शौचालय बनाने से जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। व्यापार और धन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही जीवन में आने वाले नए अवसरों में भी बाधा उत्पन्न होती है। उत्तर- पूर्वी दिशा परिवार के सभी सदस्यों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है। पूर्व दिशा इस दिशा में शौचालय और बाथरूम बनाने से जातक को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी ये परेशानियां व्यक्ति के पाचन तंत्र और लीवर पर प्रभाव डालती हैं। दक्षिण पूर्व दिशा जातक को वित्तीय के साथ-साथ, वैवाहिक जीवन और बच्चों से जुड़ी परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है। दक्षिण दिशा व्यक्ति के बिजनेस में घाटा हो सकता है और कानूनी काम में परेशानी का सामना करना पड़ता है। दक्षिण पश्चिम दिशा इस दिशा में टॉयलेट या बाथरूम होने से जातक के रिश्ते, स्वास्थ्य और करियर में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। पश्चिम दिशा व्यक्ति को धन संपत्ति से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उत्तर पश्चिम दिशा इस दिशा में शौचालय बनाने से व्यक्ति को संपत्ति बेचने में दिक्कत आ सकती है। साथ ही व्यक्ति को लोगों का सहयोग भी प्राप्त नहीं होता।
पूजा कक्ष के लिए वास्तु


प्रार्थना का स्थान
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के स्थान का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस जगह हम भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं और अपनी मजबूरिया, चाहतें, जरूरतें बताते हैं। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दिशा घर में रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन में सौभाग्य लाने का काम करती है।
पूजा कक्ष का निर्माण करते समय ध्यान रखें कुछ जरूरी बातें
- पूजा कक्ष को सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिए।
- घर के मुख्य द्वार के समाने पूजा कक्ष नहीं बनवाना चाहिए।
- शौचालय के बगल में पूजा कर नहीं होना चाहिए।
- शौचालय या स्नान कक्ष की दीवार के सहारे पूजा कक्ष नहीं बनवाना चाहिए।
पूजा कक्ष के डिजाइन

पूजा कक्ष का निर्माण करते समय ध्यान रखें कुछ जरूरी बातें
- पूजा कक्ष को सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिए।
- घर के मुख्य द्वार के समाने पूजा कक्ष नहीं बनवाना चाहिए।
- शौचालय के बगल में पूजा कर नहीं होना चाहिए।
- शौचालय या स्नान कक्ष की दीवार के सहारे पूजा कक्ष नहीं बनवाना चाहिए।
ध्यान देने योग्य बातें
- भंडारण अलमारियां कमरे के पश्चिम या दक्षिण चतुर्थांश में रखनी चाहिए क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि प्राकृतिक प्रकाश कमरे में पूर्ण रूप से प्रवेश कर सके।
- प्रार्थना पुस्तकों को संभालकर रखना चाहिए।
- इस बात का ध्यान रखें कि अगरबत्ती इधर-उधर ना हो और दीया हमेशा साफ रहे।
- दीया और बाती को उचित स्थान पर रखना चाहिए।
वास्तु अनुसार पूजा कक्ष के लिए सहायक उपकरण
पूजा कक्ष एक ऐसा स्थान होता है, जहां भगवान का वास होता है इसलिए इस जगह कूड़ेदान रखने से बचना चाहिए। साथ ही वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष में मृत्यु, युद्ध आदि जैसी अनिष्ट शक्तियों को प्रदर्शित करने वाली तस्वीरों को इस स्थान पर नहीं रखना चाहिए। अगर आप यहां पर पानी रखना चाहते हैं, तो तांबे के बर्तन में ही रखना शुभ माना जाता है।
वास्तु अनुसार पूजा क्षेत्र में क्या करें-क्या ना करें
- ऐसा माना जाता है कि तांबे या संगमरमर के बर्तन को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। पानी को साफ और ताजा रखने के लिए उसे रोज बदलें।
- पूजा कक्ष के दक्षिण-पूर्व कोने में दीया जलाना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन का अंधकार दूर होता है।
- प्रार्थना क्षेत्र में मृत/पूर्वजों की तस्वीरें रखने से बचें।
- इस क्षेत्र को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।
- पूजा कक्ष में जल्दी हुई माचिस की तिल्लियों को नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष उत्तर या पूर्व दिशा में ही होना चाहिए
- पूजा कक्ष का रंग सफेद या कोई हल्का रंग होना चाहिए।
घर की बालकानी के लिए वास्तु


वास्तु अनुसार बालकनी में बैठने की जगह
महिलाएं अक्सर शाम को अपनी थकान दूर करने के लिए घर की बालकनी में बेठना पसंद करती है। कई बार बारिश का लुत्फ उठाने के लिए पूरा परिवार एक साथ बालकनी के मजे लेता है। जब व्यक्ति कुछ नहीं करता है, तब भी वह बालकनी में खड़े होकर कुछ पल सुकून के बिताता है। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि हमारे पास हमेशा बालकनी में जाने का एक कारण होता है, इसलिए हमें इसे एक आरामदायक जगह में बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
कुछ फर्नीचर और सजावटी सामान लगाकर अपनी बालकनी को सजाने और बैठने के लिए जगह की योजना बनाने वालों के लिए यहां कुछ वास्तु टिप्स दिए गए हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं।
- बालकनी पर फर्नीचर के लिए सबसे अच्छी दिशा दक्षिण-पश्चिम दिशा है।
- बालकनी में हमेशा लकड़ी के फर्नीचर का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि बालकनी ऊर्जा प्रवाह का मार्ग है, इसलिए हमें इसे प्राकृतिक रखना चाहिए।
- वास्तु के अनुसार भारी फर्नीचर जैसे कुर्सियाँ, बीन बैग, स्टूल और टेबल हमेशा बालकनी के दक्षिण-पश्चिम की ओर रखना चाहिए।
- बालकनी पर झूला भी बैठने की व्यवस्था का एक हिस्सा ही होता है और ज्यादातर लोग इन दिनों इसपर विचार करते हैं। बता दें कि बालकनी पर झूले के लिए आदर्श दिशा उत्तर-पश्चिम दिशा है।
वास्तु के अनुसार बालकनी का आकार
बालकनियाँ इन दिनों सभी डिजाइन और आकारों में आती हैं। जैसा कि लोग सुंदरता को किसी और चीज़ से अधिक मानते हैं। इसी तरह बालकानी की सजावट करने के लिए भी विशेष ध्यान दिया जाता है। वहीं आर्किटेक्ट फ्लैट या अपार्टमेंट का निर्माण करते समय बालकनियों के लिए नए आकार और डिजाइन की कोशिश करते हैं, हालांकि हर बालकनी का आकार वास्तु स्वीकृत नहीं होता है। तो चलिए आपको बताते है वास्तु के अनुसार बालकनी के लिए आदर्श आकार है।

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार केवल दो आकार वर्ग और आयत वास्तु स्वीकृत होते हैं। वहीं किसी अन्य आकार की बालकनी से बचना चाहिए।- बालकनी के किनारे 90 डिग्री पर होने के साथ साथ यह घुमावदार नहीं होने चाहिए।
- आपको बालकनी को बीम से रहित रखने का प्रयास करना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बालकनी के लिए सर्वश्रेष्ठ पौधे
पौधे एक रक्षक के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि वे हमारे पर्यावरण को जीवित रखते हैं। इसलिए पौधे आधारित सजावट विशेष रूप से बालकनियों और छतों के लिए सबसे पसंदीदा है, जो हवा और धूप की निरंतर उपलब्धता हैं। इसके अलावा पौधे वातावरण को ठंडा रखते हैं, जिससे घर में सकारात्मकता का संचार होता है। इसलिए पौधों को वास्तु के अनुसार लगाना चाहिए। लोग सजावट के लिए अलग अलग प्रकार के पोधों को लगाना पसंद करते हैं लेकिन सभी पौधे वास्तु के अनुकूल नहीं होते हैं तो चलिए जानते है वास्तु के अनुसार बालकनी के लिए सबसे अच्छे पौधे हैं।
पौधों के लिए वास्तु: आदर्श पेड़-पौधे
घर के लिए गार्डन के लिए तुलसी पीपल मनी प्लांट आम एलो वेरा नीम स्नैक प्लांट केला पीस लिली कटहल जेड प्लांट नारियल सिंगोनियम एंथोरियम